आज के इस article मे हम 4 best नैतिक कहानीयां (Moral Hindi Short Stories) उपलब्ध करा रहे हैं। ये कहानियां कक्षा चार व अन्य छात्रों के बहुत ही मददगार साबित होगी। This hindi stories are with moral values.
4 Best Moral Hindi Short Stories for Kids
1. धर्म का मर्म
एक साधु शिष्यों के साथ कुम्भ के मेले में भ्रमण कर रहे थे। एक स्थान पर उनने एक बाबा को माला फेरते देखा। लेकिन वह बाबा माला फेरते- फेरते बार- बार आँखें खोलकर देख लेते कि लोगों ने कितना दान दिया है। साधु हँसे व आगे बढ़ गए।
आगे एक पंडित जी भागवत कह रहे थे, पर उनका चेहरा यंत्रवत था। शब्द भी भावों से कोई संगति नहीं खा रहे थे, चेलों की जमात बैठी थी। उन्हें देखकर भी साधु खिल- खिलाकर हँस पड़े।
थोड़ा आगे बढ़ने पर इस मण्डली को एक व्यक्ति रोगी की परिचर्या करता मिला। वह उसके घावों को धोकर मरहम पट्टी कर रहा था। साथ ही अपनी मधुर वाणी से उसे बार- बार सांत्वना दे रहा था। साधु कुछ देर उसे देखते रहे, उनकी आँखें छलछला आईं।
आश्रम में लौटते ही शिष्यों ने उनसे पहले दो स्थानों पर हँसने व फिर रोने का कारण पूछा। वे बोले-‘बेटा पहले दो स्थानों पर तो मात्र आडम्बर था पर भगवान की प्राप्ति के लिए एक ही व्यक्ति आकुल दिखा- वह, जो रोगी की परिचर्या कर रहा था। उसकी सेवा भावना देखकर मेरा हृदय द्रवित हो उठा और सोचने लगा न जाने कब जनमानस धर्म के सच्चे स्वरूप को समझेगा।’
2. सबसे बड़ा गरीब
एक महात्मा भ्रमण करते हुए नगर में से जा रहे थे। मार्ग में उन्हें एक रुपया मिला। महात्मा तो विरक्त और संतोषी व्यक्ति थे। वे भला उसका क्या करते? अतः उन्होंने किसी दरिद्र को यह रुपया देने का विचार किया। कई दिन तक वे तलाश करते रहे, लेकिन उन्हें कोई दरिद्र नहीं मिला।
एक दिन उन्होंने देखा कि एक राजा अपनी सेना सहित दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा है। साधु ने वह रुपया राजा के ऊपर फेंक दिया। इस पर राजा को नाराजगी भी हुई और आश्चर्य भी। क्योंकि, रुपया एक साधु ने फेंका था इसलिए उसने साधु से ऐसा करने का कारण पूछा।
साधु ने धैर्य के साथ कहा- ‘राजन्! मैंने एक रुपया पाया, उसे किसी दरिद्र को देने का निश्चय किया। लेकिन मुझे तुम्हारे बराबर कोई दरिद्र व्यक्ति नहीं मिला, क्योंकि जो इतने बड़े राज्य का अधिपति होकर भी दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा हो और इसके लिए युद्ध में अपार संहार करने को उद्यत हो रहा हो, उससे ज्यादा दरिद्र कौन होगा?’
राजा का क्रोध शान्त हुआ और अपनी भूल पर पश्चात्ताप करते हुए उसने वापिस अपने देश को प्रस्थान किया।
प्रेरणा
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हमें सदैव संतोषी वृत्ति रखनी चाहिए। संतोषी व्यक्ति को अपने पास जो साधन होते हैं, वे ही पर्याप्त लगते हैं। उसे और अधिक की भूख नहीं सताती।
3. संतोष का फल
एक बार एक देश में अकाल पड़ा। लोग भूखों मरने लगे। नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे। उन्होंने सब छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी। दूसरे दिन सबेरे बगीचे में सब बच्चे इकट्ठे हुए। उन्हें रोटियाँ बँटने लगीं।
रोटियाँ छोटी- बड़ी थीं। सब बच्चे एक- दूसरे को धक्का देकर बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे। केवल एक छोटी लड़की एक ओर चुपचाप खड़ी थी। वह सबसे अन्त में आगे बढ़ी। टोकरे में सबसे छोटी अन्तिम रोटी बची थी। उसने उसे प्रसन्नता से ले लिया और वह घर चली गयी।
दूसरे दिन फिर रोटियाँ बाँटी गयीं। उस लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली। लड़की ने जब घर लौट कर रोटी तोड़ी तो रोटी में से सोने की एक मुहर निकली। उसकी माता ने कहा कि- ‘मुहरउस धनी को दे आओ।’ लड़की दौड़ी -दौड़ी धनी के घर गयी।’’
धनी ने उसे देखकर पूछा- ‘तुम क्यों आयी हो?’
लड़की ने कहा- ‘मेरी रोटी में यह मुहर निकली है। आटे में गिर गयी होगी। देने आयी हूँ। आप अपनी मुहर ले लें।’
धनी बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे अपनी धर्मपुत्री बना लिया और उसकी माता के लिये मासिक वेतन निश्चित कर दिया। बड़ी होने पर वही लड़की उस धनी की उत्तराधिकारिणी बनी।
4. अपने हर काम में कुछ इस तरह ढूंढें आनंद
एक गांव में कुछ मजदूर पत्थर के खंभे बना रहे थे। उधर से एक संत गुजरे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा- यहां क्या बन रहा है? उसने कहा- देखते नहीं पत्थर काट रहा हूं? संत ने कहा- हां, देख तो रहा हूं। लेकिन यहां बनेगा क्या? मजदूर झुंझला कर बोला- मालूम नहीं।
यहां पत्थर तोड़ते-तोड़ते जान निकल रही है और इनको यह चिंता है कि यहां क्या बनेगा। साधु आगे बढ़े। एक दूसरा मजदूर मिला। संत ने पूछा- यहां क्या बनेगा? मजदूर बोला- देखिए साधु बाबा, यहां कुछ भी बने।
चाहे मंदिर बने या जेल, मुझे क्या। मुझे तो दिन भर की मजदूरी के रूप में 100 रुपए मिलते हैं। बस शाम को रुपए मिलें और मेरा काम बने। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि यहां क्या बन रहा है। साधु आगे बढ़े तो तीसरा मजदूर मिला। साधु ने उससे पूछा- यहां क्या बनेगा? मजदूर ने कहा- मंदिर।
इस गांव में कोई बड़ा मंदिर नहीं था। इस गांव के लोगों को दूसरे गांव में उत्सव मनाने जाना पड़ता था। मैं भी इसी गांव का हूं। ये सारे मजदूर इसी गांव के हैं। मैं एक- एक छेनी चला कर जब पत्थरों को गढ़ता हूं तो छेनी की आवाज में मुझे मधुर संगीत सुनाई पड़ता है। मैं आनंद में हूं।
कुछ दिनों बाद यह मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा और यहां धूमधाम से पूजा होगी। मेला लगेगा। कीर्तन होगा। मैं यही सोच कर मस्त रहता हूं। मेरे लिए यह काम, काम नहीं है। मैं हमेशा एक मस्ती में रहता हूं। मंदिर बनाने की मस्ती में। मैं रात को सोता हूं तो मंदिर की कल्पना के साथ और सुबह जगता हूं तो मंदिर के खंभों को तराशने के लिए चल पड़ता हूं।
बीच-बीच में जब ज्यादा मस्ती आती है तो भजन गाने लगता हूं। जीवन में इससे ज्यादा काम करने का आनंद कभी नहीं आया। साधु ने कहा- यही जीवन का रहस्य है मेरे भाई। बस नजरिया का फर्क है।
दोस्तों यह थी 4 best Moral Stories in Hindi for Success. ये सभी कहानियाँ नैतिक है। और इन कहानियों से बच्चों को बहुत मदद मिलेगी।
आप को ये best Hindi motivational stories for success in life कैसी लगी हमे comment मे जरूर बताएं। अगर आप को ये कहानियाँ अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share करें।
Thanks!
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